जैसे को तैसा
एक आम विक्रेता घूम-घूमकर आम बेच रहा था। कुछ देर बाद वह एक पान की दुकान के पास पान खाने के लिए रुका।
उधर पान बेचने वाले ने आम देखे तो वह आम बेचने वाले से चिल्लाकर बोला, “आम वाले! अगर तुम्हें बुरा न लगे तो पान के बदले आम दोगे?” आम विक्रेता खुशी-खुशी तैयार हो गया।
लेकिन पान बेचने वाला उसे धोखा देना चाहता था। उसने एक छोटा-सा पान का पत्ता लिया और एक छोटा पान बनाकर आम विक्रेता को दे दिया। आम विक्रेता ने उससे चूना डालने को कहा।
लेकिन पान वाला बोला, “जाओ और पान को दीवार से रगड़ो। चूना अपने आप मिल जाएगा।” आम विक्रेता समझ गया कि पान वाला उसे धोखा दे रहा है। इसलिए उसने पान वाले को हरा आम दिया।
हरा आम देखकर पान वाला बोला, “मुझे पीला पका हुआ आम दो।” उसकी बात सुनकर आम विक्रेता हँसते हुए बोला, “जाओ और पीले रंग से पुती हुई दीवार से आम को रगड़ो तो वह पीला हो जाएगा।”
इस प्रकार आम विक्रेता ने पान वाले के साथ वैसा ही व्यवहार किया, जैसा कि उसने किया था। इसे ही कहा जाता है- ‘जैसे को तैसा’।
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