आलसी चिड़िया
चिक्की, मिक्की नाम की दो चिड़िया एक घोंसले में रहती थीं। दोनों बहुत आलसी थीं। सर्दी का मौसम था।
चारों तरफ ठंडी हवा चल रही थी। बर्फवारी भी हो रही थी। संयोग से उनके घोंसले में एक छेद हो गया।
छेद से ठंडी हवा आने के कारण उनका घोंसला एकदम ठंडा हो जाता था। चिक्की और मिक्की दोनों को भारी ठंड लगती।
चिक्की ने सोचा, ‘मुझे आश्चर्य है कि मिक्की इस छेद को क्यों ठीक नहीं करवाती है।’ वहीं दूसरी तरफ मिक्की ने सोचा, ‘चिक्की बड़ी आलसी है।
वह क्यों नहीं इस छेद को ठीक करती?’ इस तरह दोनों ही एक-दूसरे से उस छेद को बंद करवाने की उम्मीद लगाए बैठी थीं।
फलस्वरूप उनके घोंसले का छेद वैसे ही बना रहा। धीरे-धीरे बर्फवारी तेज हो गई और हवा भी तेज चलने लगी। अब छेद के रास्ते बर्फ उनके घोंसले में प्रवेश कर गई।
अब आलसी चिड़िया ठंड से काँपने लगीं, लेकिन किसी ने भी छेद को बंद करने की कोशिश नहीं की अंतिम दोनों ठंड से मर गईं। इस प्रकार, अपने आलसी स्वभाव के कारण दोनों चिड़ियाँ अकाल मौत का शिकार बनीं।
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