चतुर राजा
राजा कालहेतु एक कर एवं लालची राजा था। उसने सभी पडोसी राज्यों पर आक्रमण कर उन्हें पराजित कर दिया था।
लेकिन सिर्फ राजा उदयमान को पराजित करने में वह असफल रहा था। उदयमान को बंदी बनाने के लिए राजा कालहेतु ने एक चाल चली।
उसने उदयमान को अपने महल में भोज पर आमंत्रित किया। राजा उदयमान ने उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जब राजा उदयभान राजा कालकेतु के महल पहुँचा तो उसे बंदी बना लिया गया।
अब राजा के हेतु अपने एकमात्र दुश्मन को बंदी हो सुनकर बहुत खुश था। उसे अपने ऊपर अत्यधिक गर्व महसूस रहा था।
वह यह सोच-सोचकर फूला नहीं समा रहा था कि भले मैंने छल का सहारा लिया है, लेकिन अब मेरा कोई शत्रु नहीं रहा। अब उसे किसी का भय नहीं रहा था।
तभी अचानक एक सिपाही दौड़ता हुआ उसके पास आया और बोला, “महाराज, राजा उदयमान ने हमारे राज्य पर आक्रमण कर दिया है और उसकी सेना ने हमें चारों तरफ से घेर लिया है।
जिस व्यक्ति को आपने बंदी बनाया है, वह राजा उदयमान नहीं है, बल्कि एक बहरूपिया है।” उदयमान की इस युद्ध में विजय हुई। फिर उसने कालहेतु से दूसरे राज्यों के राजाओं को आजाद करने के लिए कहा।
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