खुजली
एक दिन एक राजा ने एक भिखारी को महल के दरवाजे के सामने अपनी पीठ रगड़ते हुए देखा। उसने अपने सिपाहियों से भिखारी को पकड़कर राजदरबार में ले आने को कहा।
सिपाही फौरन गए और भिखारी को पकड़कर ले आए। राजा ने उससे पूछा, “तुम महल के दरवाजे के सामने अपनी पीठ क्यों खुजला रहे थे?”
भिखारी बोला, “महाराज, मेरी पीठ में खुजली हो रही थी, इसलिए मैं महल के दरवाजे के सामने पीठ खुजला रहा था।” राजा ने यह सुनने के बाद अपने सिपाहियों को आदेश दिया,
“इस भिखारी को बीस स्वर्ण मुद्राएँ दी जाएँ।” जल्दी ही यह खबर पूरे राज्य में आग की तरह फैल गई। कुछ समय बाद राजा ने दो अन्य भिखारियों को महल के सामने अपनी पीठ रगड़ते देखा।
उन्हें भी बुलवाकर राजा ने उनसे पीठ खुजाने का कारण पूछा। उन्होंने भी जवाब दिया कि उनकी पीठ में खुजली हो रही थी।
यह सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों से कहा, “इन भिखारियों की पीठ की खुजली ठीक करने के लिए इनकी पीठ पर बीस-बीस कोड़े लगाओ।”
यह सुनकर दोनों तुरंत बोले, “लेकिन महाराज, आपने तो एक अन्य भिखारी को वीस स्वर्ण मुद्राएँ दी थीं।” राजा बोला, “उसने सच कहा था, लेकिन तुम दोनों झूठ बोल रहे हो।
यदि चाहते तो तुम दोनों एक-दूसरे की पीठ खुजला सकते थे। तुम दोनों यहाँ सिर्फ लालच के कारण ही आए हो।” दोनों भिखारी अपनी करनी पर शर्मिंदा थे।
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